Tuesday, April 9, 2024

असवों बढ़ि आइल गंगा जी के पनिया हो –: शिब्बू गाज़ीपुरी ( भोजपुरी गीत संग्रह - लोक मंजरी )

असवों बढ़ि आइल गंगा जी के पनिया हो, लगनियाँ दियाई कइसे। 

बूड़ि गइल सगरो खेतवा सिवनियां हो, झुलनियाँ गढ़ाई कइसे॥

 

मंहगी क मार से लाचार भइल जिनगी,

करजा कपारे बा पहाड़ भइल जिनगी,

मिलल जात बाटे माटी में जवनियाँ हो,  

लगनियाँ दियाई कइसे, झुलनियाँ गढ़ाई कइसे.....


टुटहि पलनियाँ  ना छावे कs ठेकान बा,

ढहलि दलनियाँ से आफते में जान बा,

जान कइसे बची सुनs मोरे जनियाँ हो,

लगनियाँ दियाई कइसे, झुलनियाँ गढ़ाई कइसे.....


छोटकी क कापी-कलम, फीस ना दियात बा,

छोटका के कपड़ा-लाता कुछ ना किनात बा,

रोपल बहि गइल सगरो धान धनियाँ हो,

लगनियाँ दियाई कइसे, झुलनियाँ गढ़ाई कइसे.....




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