
तर्ज –परदेसियों से ना अखियां मिलनागीतकार – फणिभूषण चौधरीस्वर – धीरज कांतप्रभु के सिवा कही दिल ना लगाना 2नही तो पड़ेगा तुझे 2 आसू बहाना प्रभु के सिवा ...…..........2ओ ............जो प्रभु का गुणगान किया हैसच्चा जीवन वो ही जिया है 2सुमिरन के बल से तुझे 2 मुक्ति है पाना प्रभु के सिवा .............बालापन गया आज जवा हैबीत गया है अब, समय कहा है २सोच समझ के 2 वक्त गवाना प्रभु के सिवा .............आया जहा से वही फिर जानावहा...