Thursday, July 31, 2014

Raz ki bate likhi aur khat khula rahane diya By Gulam Ali

राज़ की बातें लिखी और ख़त खुला रहने दिया


राज़ की बातें लिखी और ख़त खुला रहने दिया
जाने क्यूँ रुसवाईओं का सिलसिला रहने दिया

उम्र भर मेरे साथ रहकर वो ना समझा दिल की बात
दो दिलों के दरमियाँ इक फ़ासला रहने दिया

अपनी फ़ितरत वो बदल पाया न इसके बावजूद
खत्म की रंजिश मगर फिर भी गिला रहने दिया

मैं समझता था ख़ुशी देगी मुझे साबीर फरेब
इसलिए मैं ने ग़मों से राबिता रहने दिया


साबिर जलालाबादी



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