ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ
फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ-सा कहूँ......
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ..........
गेसू उड़े महकी फ़िज़ा जादू करें आँखे तेरी
सोया हुआ मंज़र कहूँ या जागता सपना कहूँ.......
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ........
चंदा की तू है चांदनी लहरों की तू है रागिनी
जान-ए-तमन्ना मैं तुझे क्या- क्या कहूँ क्या न कहूँ.......
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ
फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ-सा कहूँ.........
बशीर बद्र
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ
फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ-सा कहूँ......
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ..........
गेसू उड़े महकी फ़िज़ा जादू करें आँखे तेरी
सोया हुआ मंज़र कहूँ या जागता सपना कहूँ.......
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ........
चंदा की तू है चांदनी लहरों की तू है रागिनी
जान-ए-तमन्ना मैं तुझे क्या- क्या कहूँ क्या न कहूँ.......
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ
फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ-सा कहूँ.........
बशीर बद्र