Thursday, July 31, 2014

E Husn Be Parvah Tujhe By Gulam Ali

ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ

ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ
फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ-सा कहूँ......

ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ..........

गेसू उड़े महकी फ़िज़ा जादू करें आँखे तेरी
सोया हुआ मंज़र कहूँ या जागता सपना कहूँ.......

ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ........

चंदा की तू है चांदनी लहरों की तू है रागिनी
जान-ए-तमन्ना मैं तुझे क्या- क्या कहूँ क्या न कहूँ.......

ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ
फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ-सा कहूँ.........



बशीर बद्र




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