राह रोकी न छेकी अब सोनार धनिया
हई ल पहिरअ तू गरवा में हार धनिया
तोहरे नामे कह त क दी पूरा बाजार रनिया
तू त सोना चनियो से महंग बाड़ू हमार कनियाँ....
रहे मजबूरी ओहबेर लाग गईल बा...की
सोनरा के सीखा देले रहली छोटकी का...की
ज़ब पता चलल त भईल जम के मार धनिया
राह रोकी न छेकी अब सोनार धनिया
हमरे से लेत बा उ कर्जा उधार हो
बन गईल बा दिन जानत बाटे जवार हो
कहअ त करधन गढ़ा दी आ मोटका हार धनिया
राह रोकी न छेकी अब सोनार धनिया
गीत :डॉ शशिकांत तिवारी
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