Wednesday, October 16, 2013

Kal bhi man akela tha aaj bhi akela hai

कल भी मन अकेला था आज भी अकेला है
जाने मेरी किस्मत ने कैसा खेल खेला है

ढूंढते हो तुम खुशबू कागज़ी गुलाबों में
प्यार सिर्फ मिलता है आज कल किताबों में

रिश्ते नाते झूठे हैं स्वार्थ का झमेला है
ज़िन्दगी के मंडप में हर ख़ुशी कंवारी है

किस से मांगने जाएँ हर कोई भिखारी है
कहकहो की आँखों में आंसुओं का रेला है

जाने मेरी किस्मत ने कैसा खेल खेला है ___पंडित के राजदान

गायक___ मनहर उधास



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