Sunday, October 20, 2013

Lah lah lahke la sagaro sivanava ki by Harvinder Singh Shibbu

लह लह लहके ला सागरो सिवनवा की (भोजपुरी लोक गीत)

लह लह लहके ला सागरो सिवनवा की -2
महके ला बाल कचनार
हो मितवा देख तू गाउवा हमार -2

चॅम चॅम चमके ला धानी रे चुनरिया की -2
हरियर भैअले घर द्वार
हो मितवा देख तू गाउवा हमार -2

पियर - भएले सागरो सिवनवा
छा गैइले बसंत के बाहर रे सजनावा
मान मोरा नाचे जैसे भोली रे चिरिया की-2
नेहिया के पखिया पसार .........................
हो मितवा..............................2

काबो सुख बाढ़ काबो आईले विपतियआ
हमनी खातिर बस आइल बा ससतिया
फुटत किरीनिया सिवनवा मे जाई-2
इहे बाटे जिये आधार
हो मितवा..............................2

राम राम करके बिताई दिन रतीया
सबका से आपस मे लगाई ना पिरीतीया
दुश्मन के देखी ना बैर भाव भूल के-2
सीमा पे लड़के तैयार
हो मितवा..............................2

लह लह लहके ला सागरो सिवनवा की -2
महके ला बाल कचनार
हो मितवा देख तू गाउवा हमार -2


गीत हरविंदर सिंह शिब्बू



0 comments:

Post a Comment