My Parents Shree Jai Prakash Tiwari Kanchan Tiwari

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Lav Tiwari and Kush Tiwari Live Performance at Chhat Mahotsav in Noida

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Me and Noida MLA Smt Vimla Batham

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Lav Tiwari and Kush Tiwari on Mahuaa Plus

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Big Brother Ravi Pratap Singh

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Me Ravinder Goel and Chiranjeet Sir

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Friday, December 6, 2013

Rafta Rafta wo meri Hasti ke saman Ho gaye - Mehdi Hassan

रफ्ता रफ्ता वो मेरे हस्ती का सामां हो गये
पहले जां फिर जानेजां फिर जानेजाना हो गए

दिन-ब-दिन बढती गईं इस हुस्न की रानाइयां
पहले गुल फिर गुल-बदन फिर गुल-बदामां हो गए

आप तो नज़दीक से नज़दीक-तर आते गए
पहले दिल, फिर दिलरुबा, फिर दिल के मेहमां हो गए

प्यार जब हद से बढ़ा सारे तकल्लुफ मिट गए
आप से , फिर तुम हुए, फिर तू का उन्वां हो गए

गायक ___मेहँदी हसन

Apani marzi se kha apane safar ke hum hai by jagjit singh

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं,
रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं।

पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है,
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं।

वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों से
किसको मालूम कहाँ के हैं, किधर के हम हैं।

चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब
सोचते रहते हैं किस रहग़ुज़र के हम हैं।__निदा फ़ाजली

गायक ___जगजीत सिंह


Thursday, November 21, 2013

Koi fariyad tere dil me dabi ho jaise By Jagjit Singh

कोई फ़रियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे
तूने आँखों से कोई बात कही हो जैसे

जागते जागते इक उम्र कटी हो जैसे
जान बाकी है मगर साँस रूकी हो जैसे

जानता हूँ आपको सहारे की ज़रूरत नहीं
मैं तो सिर्फ़ साथ देने आया हूँ

हर मुलाक़ात पे महसूस यही होता है
मुझसे कुछ तेरी नज़र पूछ रही हो जैसे

राह चलते हुए अक्सर ये गुमां होता है
वो नज़र छुप के मुझे देख रही हो जैसे

एक लम्हे में सिमट आया है सदियों का सफ़र
ज़िंदगी तेज़ बहुत तेज़ चली हो जैसे

इस तरह पहरों तुझे सोचता रहता हूँ मैं
मेरी हर साँस तेरे नाम लिखी हो जैसे

कोई फ़रियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे
तूने आँखों से कोई बात कही हो जैसे_____फैज़ अनवर

गायक ___जगजीत सिंह



श्री शिव चालीसा Shiv Chalisa in Hindi


श्री शिव चालीसा

दोहा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान

चौपाई 
जय गिरिजा पति दीन दयाला सदा करत सन्तन प्रतिपाला
भाल चन्द्रमा सोहत नीके कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये मुण्डमाल तन छार लगाये
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे छवि को देख नाग मुनि मोहे

मैना मातु की ह्वै दुलारी बाम अंग सोहत छवि न्यारी
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी करत सदा शत्रुन क्षयकारी

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ या छवि को कहि जात काऊ

देवन जबहीं जाय पुकारा तब ही दुख प्रभु आप निवारा
किया उपद्रव तारक भारी देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी

तुरत षडानन आप पठायउ लव निमेष महँ मारि गिरायउ
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई सबहिं कृपा कर लीन बचाई
किया तपहिं भागीरथ भारी पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं सेवक स्तुति करत सदाहीं
वेद नाम महिमा तव गाई अकथ अनादि भेद नहिं पाई

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला जरे सुरासुर भये विहाला
कीन्ह दया तहँ करी सहाई नीलकण्ठ तब नाम कहाई

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा जीत के लंक विभीषण दीन्हा
सहस कमल में हो रहे धारी कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी

एक कमल प्रभु राखेउ जोई कमल नयन पूजन चहं सोई
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर भये प्रसन्न दिए इच्छित वर

जय जय जय अनंत अविनाशी करत कृपा सब के घटवासी
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै भ्रमत रहे मोहि चैन आवै

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो यहि अवसर मोहि आन उबारो
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो संकट से मोहि आन उबारो

मातु पिता भ्राता सब कोई संकट में पूछत नहिं कोई
स्वामी एक है आस तुम्हारी आय हरहु अब संकट भारी

धन निर्धन को देत सदाहीं जो कोई जांचे वो फल पाहीं
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी क्षमहु नाथ अब चूक हमारी

शंकर हो संकट के नाशन मंगल कारण विघ्न विनाशन
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं नारद शारद शीश नवावैं

नमो नमो जय नमो शिवाय सुर ब्रह्मादिक पार पाय
जो यह पाठ करे मन लाई ता पार होत है शम्भु सहाई

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी पाठ करे सो पावन हारी
पुत्र हीन कर इच्छा कोई निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई

पण्डित त्रयोदशी को लावे ध्यान पूर्वक होम करावे
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा तन नहीं ताके रहे कलेशा

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे शंकर सम्मुख पाठ सुनावे
जन्म जन्म के पाप नसावे अन्तवास शिवपुर में पावे

कहे अयोध्या आस तुम्हारी जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

दोहा

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण


इति शिव चालीसा


शिव श्लोक

कर्पूरगौरं करुणावतार ,संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् 

सदावसन्तं हृदयारविन्दे,भवं भवानी सहितं नमामि