तर्ज –परदेसियों से ना अखियां मिलना
गीतकार – फणिभूषण चौधरी
स्वर – धीरज कांत
प्रभु के सिवा कही दिल ना लगाना 2
नही तो पड़ेगा तुझे 2 आसू बहाना
प्रभु के सिवा ...…..........2
ओ ............
जो प्रभु का गुणगान किया है
सच्चा जीवन वो ही जिया है 2
सुमिरन के बल से तुझे 2 मुक्ति है पाना
प्रभु के सिवा .............
ओ.......
बालापन गया आज जवा है
बीत गया है अब, समय कहा है २
सोच समझ के 2 वक्त गवाना
प्रभु के सिवा .............
ओ........
आया जहा से वही फिर जाना
वहा साथ जाए न पैसा खजाना 2
पूछे गा तो क्या 2 करोगे बहाना
प्रभु के सिवा .............
प्रभु के सिवा कही दिल ना लगाना 2
नही तो पड़ेगा तुझे 2 आसू बहाना
प्रभु के सिवा ...…..........3
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