Tuesday, January 7, 2025

आज होइ गइली बिटिया पराई न रे -: विद्या सागर "सागर सनेही"

 सुसुकि सुसिक रोंवे दुअरा पे बाबुल

घरवा में रोवताड़ी माई न रे 

आज होइ गइली बिटिया पराई न रे।


रहि रहि धधके करेजवा में अगिया

एक ही कोयल बिन सून भइली बगिया    

ना जाने फिर कब चहकी चिरइया,        

जाने बहार कब आई न रे

आज होइगइली बिटिया पराई न रे


रखलीं जतन से बड़ा रे जोगा के

बहिंया के पलना में झुलना झुलाके

अंखिया से दूर गइली दिल के दुलरुई

केकरा से दुखवा बताईं न रे

आज होइगइली बिटिया पराई न रे


प्रीतिया के रीतिया ह गजबे निराली

कहीं के कली कहीं फूल बन जाली

"सागर सनेही" नेह दूनों ओर बांटे

दूगो परिवार के मिलाई न रे

आज होइगइली बिटिया पराई न रे।


विद्या सागर "सागर सनेही




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