Tuesday, January 7, 2025

नादिया के पार - गूँजा रे चन्दन चन्दन चन्दन -: रवीन्द्र जैन

                                                            गूँजा रे..

गूँजा रे, चन्दन चन्दन चन्दन

हम दोनों में दोनों खो गए
देखो एक दूसरे के हो गए
राम जाने वो घड़ी कब आएगी
जब होगा हमार गठबँधन
गूँजा रे, चन्दन चन्दन चन्दन

हो हम्म हो..

हो सोना नदी के पानी हिलोर मारे
प्रीत मनवा मा हमरे जोर मारे हो
हो सोना नदी के पानी हिलोर मारे
प्रीत मनवा मा हमरे जोर मारे हो

है ऐसन कइसन होई गवा रे
राम जाने
राम जाने वो घड़ी कब आएगी
जब होगा हमार गठबँधन
गूँजा रे, चन्दन चन्दन चन्दन

तेरे सपनों में डूबी रहे आँखें
तेरी खुशबू से महक रही साँसें
तेरे सपनों में डूबी रहे आँखें
तेरी खुशबू से महक रही साँसें

रंग तेरे पाँव का लग के मेरे पाँव में
कहे दिन काटेंगे रँगों की छाँव में

हो, बूढ़े बरगद की माटी को सीस धर ले हो
दीपा सत्ती को सौ-सौ परनाम कर ले हो

बूढ़े बरगद की माटी को सीस धर ले
दीपा सत्ती को सौ-सौ परनाम कर ले

ओ देगी आसीस तो जल्दी बियाहेगी, राम जाने
राम जाने वो घड़ी कब आएगी
जब होगा हमार गठबँधन
गूँजा रे, चन्दन चन्दन चन्दन

हम दोनों में दोनों खो गए
देखो एक दूसरे के हो गए
राम जाने वो घड़ी कब आएगी
जब होगा हमार गठबँधन
गूँजा रे, चन्दन चन्दन चन्दन




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