मैं तो तुम संग, नैन मिला के
हार गई सजना, हो, हार गई सजना
मैं तो तुम संग, नैन मिला के
हार गई सजना, हो, हार गई सजना
क्यूँ झूठे से प्रीत लगाई - २
क्यूँ छलिये को मीत बनाया
क्यूँ आंधी में दीप जलाया
मैं तो तुम संग ...
सपने में जो बाग़ लगाए
नींद खुली तो वीराने थे
हम भी कितने दीवाने थे
मैं तो तुम संग ...
ना मिलतीं ये बैरन अँखियां
चैन न जाता दिल भी ने रोता
काश किसी से प्यार न होता
मैं तो तुम संग ...
0 comments:
Post a Comment