Tuesday, January 7, 2025

न जी भर के देखा न कुछ बात की -: निदा फ़ाज़ली

न जी भर के देखा न कुछ बात की

बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की

कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं
कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की

मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई
ज़ुबाँ सब समझते हैं जज़्बात की

सितारों को शायद ख़बर ही नहीं
मुसाफ़िर ने जाने कहाँ रात की

@ निदा फ़ाज़ली



0 comments:

Post a Comment