Monday, October 7, 2013

shayad main zindagi ki sahar le ke aa gaya

शायद मैं ज़िन्दगी की सहर ले के आ गया 
क़ातिल को आज अपने ही घर ले के आ गया 

ता-उम्र ढूंढता रहा मंज़िल मैं इश्क़ की 
अंजाम ये कि गर्दे-सफ़र ले के आ गया 

नश्तर है मेरे हाथ में , कांधों पे मैकदा
लो मैं इलाजे-दर्दे-जिगर ले के आ गया

"फ़ाकिर" सनमकदे में न आता मैं लौटकर
इक ज़ख्म भर गया था , इधर ले के आ गया ____सुदर्शन "फ़ाकिर"

सनमकदे __मंदिर
गर्दे सफ़र ___यात्रा की धूल




कुछ बातें सुदर्सन साहब के बारे में ___जन्म: 1935
निधन: __१८ फरवरी ‘०८
उपनाम__ फ़ाकिर
जन्म स्थान___ जालन्धर
कुछ प्रमुख
कृतियाँ____ पत्थर के ख़ुदा / सुदर्शन फ़ाकिर

0 comments:

Post a Comment