Monday, October 7, 2013

Ranjish hi sahi, dil hi dukhanay kay liye aa by Mehdi Hassan


रंजिश ही सही, दिल को दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ

पहले से मरासिम न सही, फिर भी कभी तो
रस्मों-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ

इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिरिया से भी महरूम
ऐ राहत-ए-जाँ मुझको रुलाने के लिए आ

अब तक दिल-ए-ख़ुशफ़हम को तुझ से हैं उम्मीदें
ये आखिरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ____अहमद फ़राज़

गायक __मेहँदी हसन

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कुछ बातें अहमद फ़राज़ साहब के बारे में ___जन्म: 14 जनवरी 1931
निधन:__ 25 अगस्त 2008
उपनाम__ फ़राज़
जन्म स्थान____ नौशेरा, पाकिस्तान
कुछ प्रमुख
कृतियाँ____ ख़ानाबदोश,, ये मेरी ग़ज़लें वे मेरी नज़्में, ज़िंदगी ! ऐ ज़िंदगी !, दर्द आशोब
विविध___ अहमद फ़राज़ का मूल नाम सैयद अहमद शाह है। आप आधुनिक युग के उर्दू के सबसे उम्दा शायरों में गिने जाते हैं।

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