Friday, October 25, 2013

mujhse bichhad ke khush rehte ho by jagjit singh

मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो

इक टहनी पर चाँद टिका था
मैं ये समझा तुम बैठे हो

उजले-उजले फूल खिले थे
बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो

मुझ को शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो

तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे
बच्चों सी बातें करते हो ___बशीर बद्र




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