मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते होमेरी तरह तुम भी झूठे होइक टहनी पर चाँद टिका थामैं ये समझा तुम बैठे हो
उजले-उजले फूल खिले थे
बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो
मुझ को शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो
तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे
बच्चों सी बातें करते हो ___बशीर बद्र
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