Thursday, July 31, 2014

Fir savan rut ki pawan chali By Gulam Ali and Aasha Bhoshale

फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये..तुम याद आये

फिर सावन रुत की पवन चली तुम याद आये..तुम याद आये
फिर पत्तों की पाजेब बजी तुम याद आये...तुम याद आये

फिर कूँजें बोलीं घास के हरे समुन्दर में
रुत आई पीले फूलों की तुम याद आये...तुम याद आये

पहले तो मैं चीख के रोया और फिर हँसने लगा
बादल गरजा बिजली चमकी तुम याद आये...तुम याद आये

फिर कागा बोला घर के सूने आँगन में
फिर अमृत रस की बूँद पड़ी तुम याद आये....तुम याद आये

दिन भर तो मैं दुनिया के धंधों में खोया रहा
जब दीवारों से धूप ढली तुम याद आये..तुम याद आये

तुम याद आये...तुम याद आये 



गीतकार- नासीर काज़मी



गायक - आशा, ग़ुलाम अली



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