अमवा लगइहा बाबा बारी बगइचा निबिया लगइहा दुआर।
पिपरा लगइहा बाबा पोखरा के भिटवाँ गौंईड़े लगइहा बँसवार।।
अमवा सयान होई फरिहें ए बाबा निबिया देही जुड़छाहँ
पिपरा के डरिया पर पड़इ झुलुवा बंसवा बिरनवां के बाँह
अमवा लगइबो बेटी बारी बगइचा निबिया लगइहा दुआर।
पिपरा लगइबो बेटी पोखरा के भीटवाँ नाहीं लगइबे बँसवार।।
काहें न बंसवा लगइबा ए बाबा बंसवा सगुननवाँ के खान।
सुपली मऊनियां से ओड़िया चंगेलिया सबही जे करैला बखान।।
बंसवा से ए बेटी डोलवा फनाला होइ जाला घर सुनसान।
बिटिया के बाबा से पूछ न कइसन मड़वा के होला बिहान।।
©® पं. हरिराम द्विवेदी, बनारस