My Parents Shree Jai Prakash Tiwari Kanchan Tiwari

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Thursday, February 28, 2013

Waqt Ka ye Parinda Ruka Hai Kha

वक़्त का ये परिंदा रुका है कहाँ मैं था पागल जो इसको बुलाता रहा चार पैसे कमाने मैं आया शहर गाँव मेरा मुझे याद आता रहा | ************************************ लौटता था मैं जब पाठशाला से घर अपने हाथों से खाना खिलती थी माँ रात में अपनी ममता के आँचल तले थपकीयाँ मुझे दे के सुलाती थी माँ || सोच के दिल में एक टीस उठती रही रात भर दर्द मुझको जागता रहा चार पैसे कमाने मैं आया शहर गाँव मेरा मुझे याद आता रहा || ************************************** सबकी...