Tuesday, February 7, 2017

Mera Gav Jane kha kho gya hai Ghazal (मेरा गाव जाने कहाँ खो गया है)

ये सहेरे तमन्ना अमीरो की दुनिया ये
ख़ुदग़र्ज़ और बेज़मीरो की दुनिया
यहाँ सुख मुझे दो जहाँ का मिला हैं
मेरा गाव जाने कहाँ खो गया है...

 वो गाव के बच्चे वो बच्चो की टोली
 वो भोली वो मासूम चाहत की बोली
वो गुल्ली वो डंडा वो लड़ना वो झगड़ना
 मगर हाथ फिर दोस्ती से पकड़ना
 वो मंज़र हर एक याद फिर आ रहा हैं
 मेरा गाव जाने कहाँ खो गया है...............  

वो चोपाल वो आल्हा रुदल के किससे
 वो गीतों की गंगा वो सावन के जुले
वो लूट ता हुआ प्यार वो ज़िंदगानी हैं
मेरे लिए भूली बिसरी कहानी
छलकती हैं आँखे ये दिल रो रहा हैं
मेरा गाव जाने कहाँ खो गया है.............

ये चाँदी ये सोना ये हीरे ये मोती
थी अनमोल इन सब से एक सुखी रोटी
 जो मैने गवाए ना कोई गवाए
 के घर छोड़ कोई ना परदेश आए
मिलेगा ना अब वो जो पीछे लूटा हैं
मेरा गाव जाने कहाँ खो गया है...................


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