Tuesday, October 7, 2025
अमवा लगइहा बाबा बारी बगइचा निबिया लगइहा दुआर
Tuesday, August 12, 2025
जय गणपति वंदन गणनायक ॥तेरी छवि अति सुंदर सुखदायक
जय गणपति वंदन गणनायक ॥
तेरी छवि अति सुंदर सुखदायक ॥
जय गणपति.......
है चार भुजाधारी मस्तक, सिंदूरी रूप निराला,
है मूसक वाहन तेरो, तू ही जग का रखवाला,
तेरी सुंदर मूरत मन में-२ तू पालक सिद्धि विनायक,
जय गणपति.....
मन मंदिर का अँधियारा, तेरे नाम से हूँ उजियारा,
तेरे नाम की ज्योति जली तो, मन में बहती सुख धारा,
तेरी सिमरन हर को जनमें, सबसे पहले फलदायक,
जय गणपति....
तेरे नाम को जिसने ध्याया, उस पर रहती सुखछाया,
मेरे रोम रोम अन्दर में, इक तेरा रूप समाया,
तेरी महिमा तू ही जाने-२ शिव पार्वती के बालक,
जय गणपति.....
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने 2
वही ये सृष्टि चला रहे है,
जो पेड़ हमने लगाया पहले,
उसी का फल हम अब पा रहे है,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,वही ये सृष्टि चला रहे है ॥
इसी धरा से शरीर पाए,
इसी धरा में फिर सब समाए,
है सत्य नियम यही धरा का,
है सत्य नियम यही धरा का,
एक आ रहे है एक जा रहे है,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,वही ये सृष्टि चला रहे है ॥
जिन्होने भेजा जगत में जाना,
तय कर दिया लौट के फिर से आना,
जो भेजने वाले है यहाँ पे,
जो भेजने वाले है यहाँ पे,
वही तो वापस बुला रहे है,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,वही ये सृष्टि चला रहे है ॥
बैठे है जो धान की बालियो में,
समाए मेहंदी की लालियो में,
हर डाल हर पत्ते में समाकर,
हर डाल हर पत्ते में समाकर,
गुल रंग बिरंगे खिला रहे है,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,वही ये सृष्टि चला रहे है ॥
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,
वही ये सृष्टि चला रहे है,
जो पेड़ हमने लगाया पहले,
उसी का फल हम अब पा रहे है,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,वही ये सृष्टि चला रहे है
नाम पाक , नापाक इरादा तेरा पाकिस्तान रे।भूल रहा है शायद तेरा बाप है हिन्दुस्तान रे।।
बात बहुते रहे जे कहल ना गइल।कुछ त रउरो तरफ से पहल ना भइल।
हमारे बाद हाले ग़म सुनाने कौन आएगाहँसाने सब तो आयेगे रुलाने कौन आएगा.
आजकल के नेता लोग के देखी राजनीति हो तिरंगा सोच ता आगे कइसे दिनवा बीती हो तिरंगा सोच ता