My Parents Shree Jai Prakash Tiwari Kanchan Tiwari

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Lav Tiwari and Kush Tiwari Live Performance at Chhat Mahotsav in Noida

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Me and Noida MLA Smt Vimla Batham

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Lav Tiwari and Kush Tiwari on Mahuaa Plus

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Big Brother Ravi Pratap Singh

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Me Ravinder Goel and Chiranjeet Sir

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Sunday, July 6, 2025

रामा रामा रटते रटते,
बीती रे उमरिया ।
रघुकुल नंदन कब आओगे,
भिलनी की डगरिया ॥

मैं शबरी भिलनी की जाई,
भजन भाव ना जानु रे ।
राम तेरे दर्शन के हित,
वन में जीवन पालूं रे ।
चरणकमल से निर्मल करदो,
दासी की झोपड़िया ॥
॥ रामा रामा रटते रटते..॥

रोज सवेरे वन में जाकर,
फल चुन चुन कर लाऊंगी ।
अपने प्रभु के सन्मुख रख के,
प्रेम से भोग लगाऊँगी ।
मीठे मीठे बेरों की मैं,
भर लाई छबरिया ॥
॥ रामा रामा रटते रटते..॥

श्याम सलोनी मोहिनी मूरत,
नैयनो बीच बसाऊंगी ।
सुबह शाम नित उठकर मै तो,
तेरा ध्यान लगाऊँगी ।
[Extra/Optional]
पद पंकज की रज धर मस्तक,
जीवन सफल बनाउंगी ।
अब क्या प्रभु जी भूल गए हो,
दासी की डगरिया ॥
॥ रामा रामा रटते रटते..॥

नाथ तेरे दर्शन की प्यासी,
मैं अबला इक नारी हूँ ।
दर्शन बिन दोऊ नैना तरसें,
सुनलो बहुत दुखारी हूँ ।
हरी रूप में दर्शन देदो,
डालो एक नजरिया ॥
॥ रामा रामा रटते रटते..॥

रामा रामा रटते रटते,
बीती रे उमरिया ।
रघुकुल नंदन कब आओगे,
भिलनी की डगरिया ॥

Friday, May 2, 2025

इन्द्रधनुही के रंग में रंगल जिन्दगीकुछ अँजोरिया भरल, कुछ अन्हरिया भरल।-: श्री सुभाष पांडेय गोपालगंज बिहार

इन्द्रधनुही के रंग में रंगल जिन्दगी
कुछ अँजोरिया भरल, कुछ अन्हरिया भरल।
कबहुँ सुख के समुन्दर पखारे चरन
कबहुँ माथे प दुख के बदरिया ढरल।

कबहुँ अँजुरी भ' अमरित बिना श्रम मिले
कबहुँ चुटकी भ' चाहत छिंटा के गिरे
कबहुँ पौरुख के पाथर निशानी गड़ल
कबहुँ गतरे-गतर रोग आ के हिरे
जब ले पानी रहे त'ले पानी मिले
कबहुँ पनघट पहुँचि ना गगरिया भरल। 

देखि मुखड़ा सुघर काल्हि जे आ गइल
आजु दोसर भेंटाते छिटिक दूर बा। 
प्रीति के पाँव ठुमुकत दुआरे चलल
टूटि के सुख सपन अब भइल चूर बा
ताज सनमान के माथ सोहत रहे
चूक तनिका भइल त पगरिया गिरल।

सुनि अवाई सजावल गइल सब सड़क 
पग धरा ना परे बिछि गइल फूल बा
नाम पद रोब पदवी तनिक कम भइल
राह सँकरो में अनगिन भरल शूल बा
एक नजर का बदे लोग पागल रहे
आजु तरसत नजर ना नजरिया फिरल। 

भोर ललकी किरिन स्वागतम कहि गइलि
तन जरल दूपहर के दुसह घाम से
साँझि होते सुनाइल विदा शुभ विदा
सुति गइलि राति बिस्तर पर आराम से
सुर सधल ना सदा शुद्ध 'संगीत' के
कंठ में सुर विवादी पइसि के थिरल।

संगीत सुभाष

Friday, January 31, 2025

राह रोकी न छेकी अब सोनार धनिया गीत :डॉ शशिकांत तिवारी

राह रोकी न छेकी अब सोनार धनिया 
 हई ल पहिरअ तू गरवा में हार धनिया 
  तोहरे नामे कह त क दी पूरा बाजार रनिया 
    तू त सोना चनियो से महंग बाड़ू हमार कनियाँ....

  रहे मजबूरी ओहबेर लाग गईल बा...की 
सोनरा के सीखा देले रहली छोटकी का...की 
  ज़ब पता चलल त भईल जम के मार धनिया 
    राह रोकी न  छेकी अब सोनार धनिया 

 हमरे से लेत बा उ कर्जा उधार हो 
    बन गईल बा दिन जानत बाटे जवार हो 
     कहअ त करधन गढ़ा दी आ मोटका हार धनिया
      राह रोकी न छेकी अब सोनार धनिया 

गीत :डॉ शशिकांत तिवारी

Sunday, January 19, 2025

जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा

जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ।

ये जीवन समर्पित, चरण में तुम्हारे,
तुम्ही मेरे सर्वस्व, तुम्ही प्राण प्यारे,
तुम्हे छोड़कर नाथ, किससे रहूँगा ।
जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ॥

दयानाथ दयानिधि, मेरी अवस्था,
तेरे ही हाथो में, मेरी व्यवस्था,
कहना होगा जो भी, तुमसे रहूँगा ।
जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ॥

ना कोई शिकायत, ना कोई अर्जी,
कहलो करालो, जो तेरी मर्जी,
सहाओगे जो भी, हंस के सहूँगा ।
जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे, वही मैं रहूँगा ॥

जहाँ ले चलोगे, वही मैं चलूँगा,
जहाँ नाथ रख लोगे, वहीं मैं रहूँगा

Saturday, January 18, 2025

जिनगी के दुपहरिया खोजे जब-जब शीतल छाँव र ेपास बोलावे गाँव रे आपन, पास बोलावे गाँव रे।

जिनगी के दुपहरिया खोजे जब-जब शीतल छाँव रे
पास बोलावे गाँव रे आपन, पास बोलावे गाँव रे।
गाँव के माटी, माई जइसन 
खींचे अपना ओरिया 
हर रस्ता, चौराहा खींचे
खींचे खेत-बधरिया 
गाँव के बात निराला बाटे, नेह झरे हर ठांव रे।
पास बोलावे गाँव रे आपन.. 
भोर इहाँ के सोना लागे
हीरा दिन-दुपहरिया 
साँझ सेनुरिया दुलहिन जइसन
रात चनन-चंदनिया
केसर के खुशबू में डूबल आपन गाँव-गिराँव रे।
पास बोलावे गाँव रे आपन.. 
कचरी, महिया, छेमी, चिउरा
शहर में कहाँ भेंटाये? 
कांच टिकोरा देख-देख के 
मन तोता ललचाये 
गाँव में अवते याद पड़ेला जाने केतना नाँव रे।
पास बोलावे गाँव रे आपन.. 
हर मजहब के लोग साथ में 
फगुआ-कजरी गावे
जग-परोजन पड़े त सब
मिल-जुल के पार लगावे 
दुखवा छू-मंतर हो जाला गाँव में पड़ते पाँव रे।
पास बोलावे गाँव रे आपन.. 
भारत के जाने के बा तs  
जाईं गाँवे-गाँवे 
स्वर्ग गाँव में बाटे
ई  त ऋषियो-मुनि बतावें 
सुनs संघतिया, गाँव में घुसते, हुलसे मन-लखराँव रे ।
पास बोलावे गाँव रे आपन..

Thursday, January 9, 2025

मैं तो तुम संग, नैन मिला के

 मैं तो तुम संग, नैन मिला के

हार गई सजना, हो, हार गई सजना

मैं तो तुम संग, नैन मिला के

हार गई सजना, हो, हार गई सजना


क्यूँ झूठे से प्रीत लगाई - २

क्यूँ छलिये को मीत बनाया

क्यूँ आंधी में दीप जलाया

मैं तो तुम संग ...


सपने में जो बाग़ लगाए

नींद खुली तो वीराने थे

हम भी कितने दीवाने थे

मैं तो तुम संग ...


ना मिलतीं ये बैरन अँखियां

चैन न जाता दिल भी ने रोता

काश किसी से प्यार न होता

मैं तो तुम संग ...

मुरलिया बाजे जमुना तीर

मुरलियां बाजे यमुना के तीर

कारो कन्हियाँ कारी कमरियाँ 
कारो जमुना को नीर
मुरलिया बाजे जमुना तीर

मीरा के प्रभु गिरिधर नागर
चरण कमल पर शीश
मुरलिया बाजे जमुना तीर

मुरली सुनत मेरो मन हर लीन्हू,
चित्त धरत नहीं धीर
मुरलिया बाजे जमुना तीर 

बंसी बजावत गावत कान्हो 
संग लियो बल बीर 
मुरलिया बाजे जमुना तीर 

मोर मुकुट पीताम्बर सोहे २
कुंडल झलक गिर
मुरलिया बाजे जमुना तीर