
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ
फूलों में भी शोख़ी तो है किसको मगर तुझ-सा कहूँ......
ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ..........
गेसू उड़े महकी फ़िज़ा जादू करें आँखे तेरीसोया हुआ मंज़र कहूँ या जागता सपना कहूँ.......ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ........चंदा की तू है चांदनी लहरों की तू है रागिनीजान-ए-तमन्ना मैं तुझे क्या- क्या कहूँ क्या न कहूँ.......ऐ हुस्न-ए-बे-परवाह...