पीके शराब संइया देलें रोज गरिया
करम हमार फूटल बा ए महतरिया
टोकला पर कहें पीहीं आपन कमाई
देले नाहीं पइसा हमके तोर बाप माई
बोलबी जो ढेर खइबी लबदा के मरिया
करम हमार फूटल बा ए महतरिया
घर में ना बाटे अब एगो बरतनवा
धीरे धीरे बेंचि दिहलस सगरी गहनवा
अब त बेचे की खातिर मांगे मोरी सारिया
करम हमार फूटल बा ए महतरिया
मना अगर करीं त तूरे लागे बक्सा
कहेला कि मारि के बिगाड़ देइब नक्शा
काटे खातिर लेके दउरे फरुहा,कुदरिया
करम हमार फूटल बा ए महतरिया
बलमा बेदर्दी के कइसे समझाईं
"सागर सनेही" कुछ रउयें बताईं
हमरा के सूझे नाहीं कवनो डहरिया
करम हमार फूटल बा ए महतरिया
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