ई त बेटी नहीं हई, गंगाजल हई हो २
ई परम पवित्र तुलसी दल हई हो
नईहर आ ससुरा में, उमर बटी जाला २
अरे सुखवा दुखवा में दिन कटी जाला हो
बारहों मास फरे वाला ई ऋतु फल हई हो
ई परम पवित्र तुलसी दल हई हो..............
जेकरा के दान कईले अरे पपवा पराला
घुघटा सुफल जब आंचल भरी जाला
दुनु कुल तारे वाली ई तरल हई हो
ई परम पवित्र तुलसी दल हई हो..............
अनपूर्णा लक्ष्मी सरस्वती कहाली
होला जब समर रणचंडी बन जाली
अरे भलही अबला कहाली ई सबल हई हो
ई परम पवित्र तुलसी दल हई हो..............
ई त बेटी नहीं हई, गंगाजल हई हो २
ई परम पवित्र तुलसी दल हई हो.....
गीतकार श्री कृपा शंकर शुक्ल जी
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